कोरोना से ही निकलेगी कोरोना की काट, भारत में नए तरीके से शुरू होगा इलाज
भारत में जल्द कोरोना वायरस के मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू हो सकता है.
भारत में जल्द कोरोना वायरस के मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू हो सकता है. प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के खून से प्लाज्मा लेकर कोरोना मरीजों का इलाज किया जाता है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार लोगों पर प्लाज्मा तकनीक के ट्रायल को मंजूरी दे दी है.
आज तक के अनुसार, प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके लोगों का 800 मिली. खून लिया जाता है और एंटीबॉडीज से युक्त प्लाज्मा अलग कर लिया जाता है. इसके बाद प्लाज्मा को कोरोना वायरस के मरीजों में इंजेक्ट किया जाता है.
जब शरीर किसी बैक्टीरिया या रोगाणु के संपर्क में आता है तो प्रतिरक्षा तंत्र अपने आप सक्रिय हो जाता है और एंटीबॉडीज रिलीज होने लगती हैं. कोरोना वायरस संक्रमण से रिकवर हो चुके मरीजों के प्लाज्मा में ऐसी एंटीबॉडीज होती हैं जो पहले ही कोरोना वायरस से लड़ चुकी होती हैं.
स्टडीज से पता चलता है कि किसी प्रभावी दवा या वैक्सीन की गैर-मौजूदगी में प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के इलाज में काफी हद तक असरदार साबित हो रही है. चीन, दक्षिण कोरिया, यूएस और यूके भी इसका परीक्षण कर रहे हैं. भारत भी इस तकनीक के ट्रायल पर आगे बढ़ रहा है.
प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज करने की योजना बना रहे अस्पतालों और संस्थाओं को सबसे पहले इंस्टिट्यूशनल एथिक्स कमिटी (आईईसी) के प्रोटोकॉल के तहत क्लीनिकल ट्रायल करना होगा. ट्रायल शुरू करने से पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा, अस्पतालों का क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया में रजिस्टर होना भी जरूरी है.
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