यूएई ने मांगी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की मदद, भारत कर रहा विचार
दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस महामारी के संकट से जूझ रही है. बड़ी से बड़ी महाशक्ति ने इस वायरस के आगे घुटने टेक दिए हैं.
दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस महामारी के संकट से जूझ रही है. बड़ी से बड़ी महाशक्ति ने इस वायरस के आगे घुटने टेक दिए हैं. इस महासंकट के बीच भारत दुनिया में एक ऐसा देश बनकर उभरा है, जो हर किसी की मदद कर रहा है. यूएई ने अब भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के लिए मदद मांगी है, जिसपर भारत ने उसे हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है.
आज तक के अनुसार, मलेरिया के खिलाफ काम आने वाली ये दवाई कोरोना वायरस से जंग में भी कारगर साबित होती दिख रही है. यूएई में भारत के एंबेसडर पवन कपूर ने इंडिया टुडे को बताया कि यूएई की कुछ कंपनियों ने भारत के सामने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की रिक्वेस्ट की है, उन्होंने हमसे इस बात का जिक्र किया, जिसके बाद संदेश को दिल्ली तक पहुंचाया गया है.
पवन कपूर के मुताबिक, भारत सरकार इसपर जल्द ही फैसला कर रही है, ऐसे में यूएई को जल्द ही इस दवाई की पहली किस्त मिल सकती है. गौरतलब है कि भारत ने बीते दिनों हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई की सप्लाई पर लगी रोक हटाई थी और उन देशों को देने का वादा किया था, जहां हालात सबसे अधिक खराब हैं.
हालांकि, अभी यूएई में उस प्रकार की स्थिति नहीं है लेकिन फिर भी संबंधों को देखते हुए भारत इसपर फैसला ले सकता है. अभी तक भारत ने अमेरिका, जर्मनी, इज़रायल, ब्राजील, नेपाल समेत 13 देशों को ये दवाई दी है. बीते दिने ही मॉरिशस को भी भारत की ओर से भेजी गई इस दवाई की पहली खेप मिली है.
कोरोना वायरस महामारी के कारण कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति है और कामकाज ठप पड़ा है. ऐसे में यूएई में भी कई ऐसे भारतीय हैं जो अपने घर वापस आना चाहते हैं. इस मसले पर पवन कपूर ने कहा कि यहां पर करीब 34 लाख भारतीय लोग रहते हैं, लेकिन इनमें से काफी कम ही हैं जो घर वापस जाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि यहां रह रहे सभी लोगों को मेडिकल सहायता दी जा रही है, लेकिन तुरंत किसी को वापस भेजना संभव नहीं है. क्योंकि भारत में भी मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात हैं और फ्लाइट सेवा पूरी तरह से बंद है. लेकिन जैसे ही कुछ सुगम परिस्थिति बनेगी तो जो लोग वापस जाना चाहते हैं, उनके लिए प्रबंध किया जाएगा.
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