वेंटिलेटर, पीपीई, मास्क जैसे चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी में छूट मिलने की संभावना नहीं
कुछ तबकों की तरफ से जीवन रक्षक उपकरणों, पीपीई, मास्क, परीक्षण किट और सैनिटाजाइर जैसे सामान को जीएसटी से छूट देने की मांग की गई थी।
कुछ तबकों की तरफ से जीवन रक्षक उपकरणों, पीपीई, मास्क, परीक्षण किट और सैनिटाजाइर जैसे सामान को जीएसटी से छूट देने की मांग की गई थी। उनका कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में इन जरूरी सामानों पर जीएसटी छूट से कीमतों में कमी आएगी।फिलहाल, जीवनरक्षक उपकरण पर जीएसटी दर 12 फीसदी, मास्क पर पांच फीसदी, परीक्षण किट पर 12 फीसदी, सैनिटाइजर पर 18 फीसदी और पीपीई पर (1,000 रुपये तक की लागत पर) यह पांच फीसदी है और 1,000 रुपये से अधिक की कीमत पर 12 फीसदी है।
अमर उजाला के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि इन पर जीएसटी छूट से उद्योग के हित प्रभावित होंगे और ग्राहकों को बहुत ज्यादा लाभ नहीं होगा। इससे पहले सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी छूट से घरेलू विनिर्माताओं के लिए इसी प्रकार की स्थिति उत्पन्न हुई थी।सूत्रों के अनुसार जहां एक तरफ ग्राहकों को इन वस्तुओं पर जीएसटी छूट से लाभ नहीं होगा वहीं दूसरी तरफ विनिर्माताओं पर अनुपालन का बोझ बढ़ेगा। क्योंकि उन्हें उस कच्चे माल, सेवा और पूंजीगत सामानों के लिये अलग खाता तैयार करना होगा जिसका उपयोग उक्त वस्तुओं के विनिर्माण में होता है।
अगर वे अलग खाता बनाए रखने की स्थिति में नहीं है, उन्हें विस्तृत आकलन के बाद छूट प्राप्त पीपीई के विनिर्माण में उपयोग होने वाले सभी कच्चे माल/सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट हटाना होगा। फिर, इन पर छूट से घरेलू विनिर्माताओं के लिए आईटीसी अवरूद्ध होगा जबकि आयातकों को इस प्रकार के किसी अवरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस महीने की शुरूआत में सरकार ने सैनिटाइजर को छोड़कर उक्त सभी सामानों पर मूल सीमा शुल्क और स्वास्थ्य उपकर से 30 सितंबर तक छूट देने की घोषणा की। सरकार जीवन रक्षक उपकरणों (वेंटिलेटर), व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), मास्क, परीक्षण किट और सैनिटाइजर जैसे चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी से संभवत: छूट नहीं देगी। ऐसा करने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) रुकेगा, इस वजह से विनिर्माण की लागत बढ़ेगी जिससे ग्राहकों के लिए कीमत बढ़ेगी।
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