कोई अपना दूर देश में जान की भीख मांगे और हम मुंह फेर लें, कभी नहीं, यही है भारत
पिछले दिनों रूस से एक पुरुष मित्र और उसकी चीनी मूल की महिला मित्र भारत घूमने आए थे।
पिछले दिनों रूस से एक पुरुष मित्र और उसकी चीनी मूल की महिला मित्र भारत घूमने आए थे। महिला की चीनी नागरिकता देख उसे एयरपोर्ट से ही वापस भेज दिया गया। वे दोनों महीने भर की बुकिंग करवाकर भारत आए थे। उसने वहां बताया भी कि पिछले दो वर्ष से वह चीन नहीं गई है। पासपोर्ट भी दिखाया, लेकिन एहतियात के तौर पर उसे वापस भेज दिया गया। उसी समय मुझे कोरोना की भयावहता की जानकारी हुई, जो आज पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है।
दैनिक जागरण के अनुसार, पाकिस्तान ने तो चीन में मौजूद अपने नागरिकों को लाने से इन्कार कर दिया है। वहां कोहराम मचा है। लोग अपनों को बुलाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं, पर मजाल कि सरकार झुके। विदेश में रहने वाले एक पाकिस्तानी मित्र से इस विषय पर बात हुई। वह खुश था कि कम से कम पाकिस्तानी इस बीमारी से सुरक्षित रह सकेंगे। क्या एक भारतीय इस तरह सोच पाएगा? हमारा कोई अपना दूर देश में जान की भीख मांगे और हम मुंह फेर लें, कभी नहीं। खुद मरना मंजूर, पर किसी अपने के रोने को कैसे अनसुना कर जाएं। हमारा देश शायद इन्हीं वजहों से भारत है।
केंद्र सरकार अपने नागरिकों के लिए फिक्रमंद है। देश में एहतियात के साथ, विदेश में मौजूद अपने नागरिकों से लगातार संपर्क बनाए रखने को अलग से टीम काम कर रही है। कल्पना करें कि यदि आप वहां फंसे होते और सरकार का सहयोग न मिलता तो आप और आपके अपनों की क्या स्थिति होती। इस बीच कई विदेशी मित्रों से बात हुई। बाहर वाकई स्थिति भयावह है। मुझे यकीन है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान हम निकाल लेंगे। भारत हर तरह से सक्षम है। भारत ने विवेक से पहले संवेदना को स्थान दिया है। बाहर से आए तमाम लोग इसके गवाह हैं।