कोरोना के इलाज में उम्मीद की नई किरण, कान्वलेसंट प्लाज्मा थैरेपी से ठीक हो रहे हैं मरीज
कोरोना के इलाज में उम्मीद की एक नई किरण दिखी है। इस बीमारी से ठीक हो चुके मरीज के ब्लड प्लाज्मा से नए
कोरोना के इलाज में उम्मीद की एक नई किरण दिखी है। इस बीमारी से ठीक हो चुके मरीज के ब्लड प्लाज्मा से नए मरीजों के इलाज में मदद मिली है। चीन में देखा गया है कि कोरोना के गंभीर मरीजों को यह प्लाज्मा दिए जाने के 72 घंटे में ही उनके लक्षण खत्म होने लगे और हालत में सुधार भी हुआ। ब्रिटेन और अमेरिका में भी ठीक हो चुके कोरोना मरीजों के खून से इलाज के अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
भारतीय अखबार दैनिक जागरण के अनुसार कोविड-19 से उबरे मरीजों के प्लाज्मा में वह एंटीबॉडीज पाया जाता है, जो वायरस के सफाये के लिए उनकी इम्युनिटी के लिए जरूरी होता है। इसे कान्वलेसंट प्लाज्मा थैरेपी के रूप में जाना जाता है। इस थैरेपी का इस्तेमाल पहली बार एक शताब्दी पहले 1918 में स्पैनिश फ्लू महामारी के समय हुआ था। यह थैरेपी जीवन रक्षक साबित हो रही है और एक छोटे समूह पर किए प्रयोग में कोई गंभीर साइड इफेक्ट भी नहीं देखा गया है।
ब्लड प्लाज्मा से इलाज की नई किरण ब्लड प्लाज्मा देने वाली टिफ्फनी मौजूदा महामारी में कोरोना से उबर चुकी 39 वर्षीय एक महिला टिफ्फनी पिंकेनी पिछले सप्ताह अपना ब्लड प्लाज्मा देने वाली पहली अमेरिकी बनीं। वह अब खुद को नए मरीजों के लिए ‘आशा की किरण’ मानती हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि कान्वलेसंट प्लाज्मा पर और अध्ययन की जरूरत है, क्योंकि अभी तक उसके असर का कोई ठोस निष्कर्ष का सबूत नहीं मिला है।
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