अमेरिकी राष्ट्रपति: अमेरिका हमेशा रहेगा भारत का भरोसेमंद दोस्त
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह जता दिया है कि अमेरिका हमेशा भारत का सच्चा दोस्त रहेगा।
कारोबार में अपने-अपने हितों की रक्षा के लिए भारत और अमेरिका की ओर से भले ही खींचतान चलती रही हो, लेकिन अपने पहले भारत दौरे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह जता दिया है कि अमेरिका हमेशा भारत का सच्चा दोस्त रहेगा। अमेरिका-भारत के बीच समझौतों के भविष्य के लिहाज से यह बड़ा संदेश है। सोमवार को खचाखच भरे मोटेरा स्टेडियम में ट्रंप ने अपने भाषण की शुरुआत 'नमस्ते, अमेरिका भारत को प्यार करता है' से की और अंत 'हम भारत को बहुत प्यार करते हैं' से किया। दूसरी तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ट्रंप की यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों का नया अध्याय बताते हुए कहा कि भारत-अमेरिका सिर्फ रणनीतिक साझेदार ही नहीं हैं, बल्कि यह रिश्ता इससे भी आगे का है।
दैनिक जागरण के अनुसार, इस तरह दोनों नेताओं ने मंगलवार को नई दिल्ली में आधिकारिक स्तर की द्विपक्षीय वार्ता की जमीन भी तैयार कर दी है। माना जा रहा है कि जिस तरह से 2015 में मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत-अमेरिकी रिश्तों को नई दिशा दी, अब वैसे ही मोदी और ट्रंप की बैठक रिश्तों को नया आयाम देने जा रही है। ट्रंप ने दोनों देशों के बीच चल रही ट्रेड वार्ता का भी जिक्र किया और माना कि भारत के साथ इस मुद्दे पर बात करना आसान नहीं है। मोदी को एक कठिन वार्ताकार (हार्ड नेगोशिएटर) बताते हुए उन्होंने कहा, 'हम भारत के साथ एक शानदार ट्रेड समझौते पर बात शुरू कर चुके हैं जो दोनों देशों में निवेश को काफी आसान बना देगा। हम अब तक का सबसे बड़ा ट्रेड समझौता करने जा रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि पीएम मोदी के साथ दोनों देशों को समान तौर पर फायदा पहुंचाने वाला समझौता करेंगे।'
जाहिर है कि मंगलवार को दोनों नेता इस कारोबारी समझौते को आगे बढ़ाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को दोनों देशों के बीच तीन अरब डॉलर के हेलीकॉप्टर खरीद समझौते का जिक्र किया और कहा कि अमेरिका भारत का सबसे मजबूत सैन्य साझेदार बनना चाहिए और इस बारे में हम बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया में सबसे बेहतरीन हथियार व सैन्य उपकरण बनाता है। ट्रंप ने सभी हथियार भारत को मुहैया कराने की पेशकश भी की। युद्धक जहाज, मिसाइल, रॉकेट, जहाजों का जिक्र करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि अमेरिका इन सभी को भारत को बेचने की मंशा रखता है।
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