भारत - तिब्बत का संबध ऐतिहासिक : सोल्टिन
भारत तिब्बत मैत्री संघ के तत्वाधान में मंगलवार को अध्यक्ष सुदेश कुमार चंद्रवंशी जी के आवास पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
हजारीबाग : भारत तिब्बत मैत्री संघ के तत्वाधान में मंगलवार को अध्यक्ष सुदेश कुमार चंद्रवंशी जी के आवास पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। मौके पर उपस्थित भारत-तिब्बत समन्वयक केंद्र दिल्ली के जिगमाय सोल्टिन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और तिब्बत का संबंध हजारों वर्ष पूर्व स्थापित सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक व ऐतिहासिक है। तिब्बती बौद्ध धर्म में प्रार्थनाओं के प्रारंभ में हम लोग भारत को आर्य भूमि के रूप में स्वीकारते हैं।
दैनिक जागरण के अनुसार, श्री सोल्टिन ने कहा कि चीनी लोक गणराज्य के आधिपत्य में तिब्बत के आ जाने से आज स्थिति बहुत नाजुक हो गई है। अभी तिब्बत में अपने धर्म व भाषा का अनुसरण करने की स्वतंत्रता नहीं है। साथ ही कहा कि पिछले 60 वर्ष से केंद्रीय तिब्बती प्रशासन परम पावन दलाई लामा जी के नेतृत्व में भारत में निर्वासन में रह रहे हैं और यहीं से प्रशासन चलाते हैं। वहीं अपने मूल उद्देश्य को बताते हुए कहा कि हमें अपने मूलभूत मानव अधिकार से वंचित ना रखा जाए ।धर्म , संस्कृति व भाषा अपनाने की हमें आजादी मिले और यह हम चीनी गणराज्य के संविधान के अंतर्गत करते हैं। तिब्बत मुक्ति साधना का मूल उद्देश्य भारत की सुरक्षा से जुड़ी है। जहां तिब्बत की आजादी है, वहीं कैलाश मानसरोवर का मुक्ति का मार्ग भी है। .