भारत की वैश्विक छवि के बदलाव में ‘सांस्कृतिक कूटनीति’ की भूमिका
भारत की वैश्विक छवि ‘विविधता में एकता’ की धारणा पर आधारित है। यही संस्कृतियों एवं सभ्यताओं की व्यापकता को भी दर्शाती है, जिसका प्रभाव दुनिया भर के लोगों पर है।
भारत की वैश्विक छवि ‘विविधता में एकता’ की धारणा पर आधारित है। यही संस्कृतियों एवं सभ्यताओं की व्यापकता को भी दर्शाती है, जिसका प्रभाव दुनिया भर के लोगों पर है। मूलतः संस्कृति को ‘सॉफ्ट पॉवर’ कूटनीति के विस्तार के रूप में मान्यता दी गई है। इसे पूरी दुनिया में लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में भारत की विदेश नीति के महत्वपूर्ण साधन के रूप में माना गया है। सभ्यताओं के बीच एक संवाद विकसित करने के लिए संस्कृति के महत्व को पहचानते हुए भारत ने स्वतंत्रता के बाद से ही ’सांस्कृतिक कूटनीति’ के महत्व को दुनिया से जुड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में स्थापित किया है।
ऑपइंडिया के अनुसार, सदियों से भारतीय कला, शिल्प, संस्कृति, परंपरा, योग, आयुर्वेद, संस्कृत, भारतीय संगीत, नृत्य और धर्म दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता रहा है। साथ ही साथ वर्तमान भारतीय संगीत, व्यंजन, सिनेमा और बॉलीवुड ने भी लोगों को आकर्षित किया है। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति के पाँच स्तंभों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने एवं भारत की वैश्विक छवि को बदलने के लिए एक सफल प्रयास किया है। ये पाँच स्तंभ – सम्मान, संवाद, समृद्धि, सुरक्षा एवं संस्कृति और सभ्यता हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विद्वान जोसेफ नाइ के सॉफ्ट पॉवर की परिभाषानुसार प्रधानमंत्री मोदी भारत की वैश्विक पहुँच में बदलाव के वाहक बने हैं। जोसेफ नाइ के अनुसार सॉफ्ट पॉवर, इच्छित चीजों को आकर्षण के माध्यम से पाने की क्षमता रखना है ना कि दबाव या भुगतान के माध्यम से।