31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में भारत का बजट गैप जीडीपी के 4.4 प्रतिशत के स्तर तक पहुंचा
बजट गैप सरकार के लक्ष्य को पार कर गया है। सरकार ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 3.8 प्रतिशत के गैप का लक्ष्य रखा था। लेकिन यह बढ़कर 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
मुंबई. . बजट गैप सरकार के लक्ष्य को पार कर गया है। सरकार ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 3.8 प्रतिशत के गैप का लक्ष्य रखा था। लेकिन यह बढ़कर 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है। यह छह साल का रिकॉर्ड है। आर्थिक मंदी के चलते टैक्स कलेक्शन में कमी आने से यह स्थिति बनी है।
मनी भास्कर के अनुसार, 1.7 लाख करोड़ रुपए के रेवेन्यू की कमी के कारण घाटे का आंकड़ा बढ़ गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3.8 प्रतिशत के अंतर का लक्ष्य रखा था। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक पीएलसी में साउथ एशिया रिसर्च की प्रमुख अनुभूति सहाय ने कहा कि 4.4 प्रतिशत पर बजट गैप का मतलब है कि सरकार को अपने फिस्कल डेफिसिट को सीमित करने के लिए बने कानून को निलंबित करना पड़ सकता है। इससे भारत के लिए क्रेडिट रेटिंग आउटलुक खतरे में पड़ सकता है।
सहाय ने कहा कि सरकार ने वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान इसे निलंबित कर दिया था। उन्होंने कहा कि वैश्विक रेटिंग एजेंसियां फिच रेटिंग्स और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स अपने आउटलुक को निगेटिव में बदल सकते हैं।
उनके मुताबिक यह स्लिपेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने आने वाली चुनौतियों को जोड़ती है, जो कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के अलावा राष्ट्र के विकास को उबारने की कोशिश कर रहे हैं। टैक्स कलेक्शन के दबाव में रहने की संभावना है क्योंकि शटडाउन से खपत रुक गई है। सीआईआई के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि कंपनियों के सीईओ सितंबर तक मांग में रिकवरी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।
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