गरीबी से लड़ने की भारत की योजना
भारत गरीबों के कल्याण को ध्यान में रख कर योजनाएं तैयार करता है। बुधवार को यूएन के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी), और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है।
भारत गरीबों के कल्याण को ध्यान में रख कर योजनाएं तैयार करता है। बुधवार को यूएन के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी), और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है।
डॉयचे वेले जर्मन अन्तराष्ट्रीय वेबसाइट के अनुसार, इस रिपोर्ट में यह भी शामिल है की भारत समेत दक्षिण एशिया के करीब 50 करोड़ बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। सभी को भूखमरी से निकालने के 2030 के लक्ष्य को प्रयाप्त करना आवश्यक है।
भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में कहा था कि सरकार की सारी योजनाएं गरीब, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग को सशक्त करने के लिए हैं। सरकार खुद मानती है कि राष्ट्रीय पोषण मिशन का लक्ष्य 2020 तक बच्चों में कुपोषण को दूर करना था।
भारत में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत 2012 में नवजात बच्चों और मांओं के लिए कुछ योजनाएं बनाई गई थीं। जिसका लक्ष्य 2017 तक बच्चों को कुपोषण से निकालना था। इसके बाद राजस्थान के झुंझनू में 8 मार्च 2018 को महिला दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की। इसमें 10 करोड़ लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया। इस योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोष्टिक खाना बनाया जाता है। यह खाना उस इलाके के कुपोषण के शिकार बच्चों और महिलाओंं को खिलाया जाता है। इस खाने का खर्चा सरकार वहन करती है. इसमें 45 खाने पीने की वस्तुएं शामिल हैं।
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