विदेशी एमबीबीएस छात्र देश में फेल

अपने देश में कड़े कंपटीशन के कारण ढेरों छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। लेकिन उनमें से मात्र १५ फीसदी छात्र ही ‘फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (एफएमजीई) पास कर पाते हैं जो भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।
अपने देश में कड़े कंपटीशन के कारण ढेरों छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। लेकिन उनमें से मात्र १५ फीसदी छात्र ही ‘फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (एफएमजीई) पास कर पाते हैं जो भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।
newstrack के अनुसार इन १५ फीसदी छात्रों में से भी अधिकांश बांग्लादेश या मॉरीशस से पढ़ाई किए हुए होते हैं जहां जाना बहुतेरे छात्र पसंद नहीं करते।
एफएमजीई कराने वाली संस्था नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशंस ने २०१५ से २०१८ के बीच विदेशी मेडिकल संस्थानों से डिग्री ले कर लौटे ६१,७०८ भारतीय छात्रों का विश्लेषण किया तो पाया कि मात्र ८,७६४ छात्र यानी १४.२ फीसदी ही एफएमजीई पास कर पाए हैं। चीन, रूस और उक्रेन से डिग्री लेने वाले छात्रों का पासिंग रिकार्ड सबसे बुरा रहा।
एफएमजीई में बैठे कुल छात्रों में से ५४०५५ या ८७.६ फीसदी छात्र सात देशों – चीन, रूस, बांग्लादेश, उक्रेन, नेपाल, किर्गिस्तान और कजाखस्तान से पढ़ कर आए थे।