इन बिंदुओं में समझें क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 और क्यों हो रहा इसका विरोध
Citizenship Amendment Bill 2019 केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी।
Citizenship Amendment Bill 2019 केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी। अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। विपक्ष इसका विरोध कर रहा है जिसकी वजह से संसद में हंगामा देखने को मिल सकता है। आइये जाने क्या हैं इस विधेयक में प्रावधान और विपक्ष क्यों कर रहा है इसका विरोध
1. इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।
2. नागरिक संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप ऐक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस बदलाव के जरिए उन गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी जो बीते एक साल से लेकर छह साल तक भारत में रह रहे हैं
3. फिलहाल, भारत में लागू सिटिजनशिप ऐक्ट 1955 के तहत नागरिकता हासिल करने की अवधि 11 साल है। इसी नियम में ढील देकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से छह साल तक किया जाना है।
4. इस विधेयक (Citizenship Amendment Bill 2019) के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को 11 साल के बजाए एक से छह वर्षों में ही भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
5. सिटिजनशिप ऐक्ट 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है। इसमें उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हैं या उल्लेखित अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हैं।
6. अवैध प्रवासियों को जेल हो सकती है या उन्हें उनके देश वापस भेजा जा सकता है। लेकिन, नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के जरिए केंद्र सरकार ने पुराने कानूनों में बदलाव करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई को इससे छूट दे दी है।