भारत में इकोनॉमी मंदी, लोगों की बचत पर लग गई सेंध
भारतीय इकोनॉमी में चल रही मंदी ने लोगों की बचत को भी अपनी चपेट में ले लिया है। बचत दर (Saving Rate) 15 साल के निचले स्तर पर पहुँच गयी है।
नयी दिल्ली। भारतीय इकोनॉमी में चल रही मंदी ने लोगों की बचत को भी अपनी चपेट में ले लिया है। बचत दर (Saving Rate) 15 साल के निचले स्तर पर पहुँच गयी है। साथ ही लोगों की घरेलू बचत भी घट रही है। इससे भारत की मैक्रो आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है, जो पहले से ही कम निवेश और पूंजीगत जरूरतों के लिए लिये जा रहे बाहरी लोन से प्रभावित हो चुकी है। घरेलू बचत में गिरावट के दो मुख्य कारण हैं। इनमें टिकाऊ वस्तुओं की खरीदारी और यात्रा पर अधिक खर्च शामिल है। वैसे आंकड़ों के मुताबिक देश की बचत में भारतीय परिवारों का योगदान लगभग 60 फीसदी रहता है। अच्छी बात यह है कि ब्राजील जैसे उभरते बाजार की तुलना में भारत में अभी भी अनुकूल स्थिति बनी हुई है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार एक इकोनॉमिस्ट कहते हैं कि यदि भारत में उच्च टिकाऊ विकास चाहिए, तो निवेश दर बढ़ानी होगी। लेकिन निवेश के लिए फंडिंग की जरूरत है। उनके मुताबिक यदि घरेलू बचत गिर रही है तो सरकार विदेशी बचत का लाभ उठा कर सही कर रही है। गिरती बचत दर से भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों से अधिक उधार लेना पड़ेगा। इससे भारत की बाहरी स्थिति कमजोर हो जाएगी क्योंकि यह देश के बाहरी कर्ज को बढ़ा देगा।