लॉकडाउन से दुनियाभर में घरेलू हिंसा 20% बढ़ी, 4.4 करोड़ महिलाएं पाबंदियों के चलते गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल नहीं कर सकी हैं
एक तरफ जहां कोरोनावायरस के चलते दुनिया की बड़ी आबादी घरों में कैद है। वहीं, दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते परिवारों में कलह बढ़ गई है।
एक तरफ जहां कोरोनावायरस के चलते दुनिया की बड़ी आबादी घरों में कैद है। वहीं, दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते परिवारों में कलह बढ़ गई है। यूएन पॉपुलेशन फंड(यूएनपीएफ) के मुताबिक दुनियाभर में लॉकडाउन की वजह से घरेलू हिंसा में 20% फीसदी का इजाफा हुआ है। अनुमान है कि सिर्फ पाबंदियों के चलते इस साल दुनियाभर में घरेलू हिंसा के 1.5 करोड़ मामले आ सकते हैं। इन नए आंकड़ों ने अगले दशक में महिलाओं की बेहतर जिंदगी की उम्मीदों भरी तस्वीर काे धुंधला कर दिया है।
यूएनपीएएफ के मुताबिक, पिछले तीन महीने में दुनियाभर में 4.4 करोड़ महिलाएं पाबंदियों के चलते गर्भ निरोधक उपायों का इस्तेमाल नहीं कर सकी हैं। यह महिलाएं 114 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहती हैं। इसके चलते करीब 10 लाख अनचाही प्रेग्नेंसी होंगी। इसके अलावा शोधकर्ताओं का कहना है कि पाबंदियों के चलते अगले 10 साल में 53 लाख लड़कियों की समय से पहले शादी हो सकती है। 1.3 करोड़ लोगों का बाल विवाह हो सकता है। इससे बाल विवाह के खिलाफ चल रहे तमाम कार्यक्रम भी बाधित होंगे।
इंटरनेशनल प्लान्ड पैरेंटहुड फेडरेशन के मुताबिक कोरोना के चलते 64 देशों में 5,000 से अधिक क्लीनिक बंद हो गए हैं। मैरी स्टॉप्स इंटरनेशल ने अनुमान जताया है कि पाबंदियों के चलते दुनिया में 30 लाख अनचाही प्रेग्नेंसी हो सकती हैं। तकरीबन 27 लाख असुरक्षित गर्भपात हो सकते हैं। 11,000 से ज्यादा गर्भावस्था से संबंधित मौतें हो सकती हैं।
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