ड्रैगन से नाराज दुनिया, मौके को अपने पक्ष में करने के लिए भारत का मेक इन इंडिया 2.0 प्लान!
मेक इन इंडिया 2.0 को बड़े पैमाने पर लॉन्च किया जा सकता है।
कोरोना संकट को आगे जाकर अवसर में बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले दिनों में कुछ अहम निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए मेक इन इंडिया 2.0 को बड़े पैमाने पर लॉन्च किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से पीएम मोदी ने तमाम मंत्रियों और अधिकारियों से कहा है कि लॉकडाउन समाप्त होने के तुरंत बाद इस दिशा में एक बहुत बड़ा अभियान शुरू हो सकता है। इसके पीछे तर्क दिए जा रहे हैं कि कोरोना संकट के बाद विश्व की कई कंपनियां चीन से निकलकर नए ठिकाने की तलाश में हैं और भारत इस मौके को हाथों-हाथ ले सकता है। सरकार का दावा है कि कुछ बड़ी कंपनियों ने भारत में आने के सकारात्मक संकेत भी दिए हैं।
नवभारत टाइम्स के अनुसार, ऐसी कंपनियों को कम से कम दिनों में भारत में अपना ठिकाना स्थापित करने के लिए न्यूनतम औपचारिकता से हासिल करने के लिए नया आकर्षक प्रस्ताव बनाया जा रहा है जो इन कंपनियों को दिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार इसमें सरकार की ओर से सबसे बड़ी मांग बस इतनी होगी कि उसमें वे तय सीमा तक सिर्फ भारतीय को नौकरी देंगे। सूत्रों के अनुसार आर्थिक पैकेज को अंतिम रूप देने से लेकर मेक इन इंडिया को नए सिरे से लाने की तमाम कोशिशों को खुद पीएम मोदी मॉनिटर कर रहे हैं। पिछले दिनों शीर्ष अफसरशाही पर हुए बदलाव में भी आर्थिक मसलों से जुड़े मंत्रालयों में प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम कर चुके अधिकारियों को भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार दूसरा पैकेज 2 लाख करोड़ हो सकता है। पहला पैकेज 1 लाख 70 हजार करोड़ का है। बैठक में किसानों को कर्ज देने के अलावा पीएम-किसान लाभार्थियों के लिए विशेष किसान क्रेडिट कार्ड जैसे मुद्दे पर भी बात हुई। कृषि उपज को एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचने और व्यापार को सुगम बनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में इस बात पर भी विचार विमर्श किया गया कि आवश्यक वस्तु अधिनियम को वर्तमान समय के अनुरूप बनाना कितना उचित है, ताकि कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर निजी निवेश को प्रोत्साहन मिल सके।
कोरोना वायरस की महामारी की वजह से चीन में पैदा हुई दिक्कतों के बाद वहां की कंपनियां भारत में अपने उद्योग स्थापित करने के लिए संपर्क कर रही हैं। बिजनस टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कम से कम 300 कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स तथा सिंथेटिक फैब्रिक्स के क्षेत्र में भारत में फैक्ट्रियां लगाने के लिए सरकार से सक्रिय रूप से संपर्क में हैं। अगर बातचीत सफल होती है तो यह चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा और भारत के लिए बड़ा फायदा।
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