अमेरिका डब्ल्यूएचओ को उसके कुल फंड का 14.67% हिस्सा देता है, इसमें से सिर्फ 2.33% हिस्सा कोरोना जैसी महामारियां रोकने में इस्तेमाल होता है
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की फंडिंग रोकने का फैसला किया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की फंडिंग रोकने का फैसला किया है। ट्रम्प के मुताबिक डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस के खिलाफ गंभीर कदम उठाने में देरी की है। ट्रम्प के इस फैसले से डब्ल्यूएचओ को हेल्थ केयर और विश्व स्तर पर तमाम बीमारियों से लड़ने में परेशानी आ सकती है। दैनिक भास्कर के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने मंगलवार को कहा कि डब्ल्यूएचओ का समर्थन होना चाहिए, क्योंकि यह कोविड 19 के खिलाफ युद्ध जीतने के दुनिया के प्रयासों के लिए जरूरी है। खास बात है कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा आर्थिक मददगार है। हालांकि अमेरिकी योगदान का बेहद मामूली हिस्सा ही बीमारियों के प्रकोप रोकने में इस्तेमाल होता है।
डब्ल्यूएचओ को कैसे मिलता है फंड?
• डब्ल्यूएचओ को फंड दूसरे सदस्य देशों और निजी संस्थाओं से मिलता है। अमेरिका डब्ल्यूएचओ फंड में उसके बजट का 14.67 फीसदी योगदान देता है।
• इसके अलावा दूसरे देश अपनी संपत्ति और जनसंख्या के हिसाब से फंड देते हैं। हालांकि यह अमेरिका की मदद का एक चौथाई हिस्सा होता है।
• अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा फंड ब्रिटेन देता है। यहां से डब्ल्यूएचओ को 7.79 प्रतिशत मदद मिलती हैं।
• डब्ल्यूएचओ के कुल बजट का 9.76 प्रतिशत फंड बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से आता है। यह योगदान तमाम देशों की फंडिंग से भी ज्यादा है।
डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को लेकर क्या किया?
• 22 जनवरी से ही डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर टेडरॉस एडनॉम गेब्रेयेसस लगातार कोरोना को लेकर अपडेट्स दे रहे थे। लेकिन संगठन ने कोरोना के चीन से बाहर फैलने के बाद भी इसे गंभीरता से नहीं लिया और इमरजेंसी बताने में संकोच करते रहे।
• 23 जनवरी को डॉक्टर टेडरॉस ने कहा कि यह चीन में इमरजेंसी है। हालांकि 30 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने सरकार को एक्शन लेने की सलाह दी। इसके बाद भी हफ्तों तक संगठन केवल चेतावनी जारी करता रहा।
• आखिरकार 11 मार्च को डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस को महामारी घोषित कर दिया। दुनिया के तमाम देशों और आलोचकों के मुताबिक महामारी घोषित करने में बहुत देर की गई।