15 दिनों में तीन बार सोनिया गांधी ने भारतीय पीएम को लिखा पत्र, कोरोना से निपटने के लिए टिप्स दिए
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दस दिनों के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पत्र लिखा है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दस दिनों के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पत्र लिखा है। मंगलवार को लिखे तीसरे पत्र में उन्होंने कोरोना से निपटने के लिए सरकार को टिप्स दिए हैं। मोदी ने सोमवार को ही सोनिया गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं से फोन पर बात की थी। फोन पर हुई इस बातचीत में उन्होंने नेताओं के सुझाव भी मांगे थे। इसी क्रम में सोनिया गांधी ने यह पत्र लिखा है। सोनिया ने अपने पत्र में सरकार से विज्ञापन पर खर्च सीमित करने, सेंट्रल दिल्ली में नई संसद और दूसरे भवनों के निर्माण की योजना को टालने, सरकार के खर्चे में 30 फीसदी कटौती करने जैसे टिप्स दिए हैं।
दैनिक भास्कर के अनुसार, सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों- टेलीविजन, प्रिंट एवं ऑनलाईन विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगाए। यह पैसा कोरोनावायरस से उत्पन्न हुए संकट से जूझने में लगाया जाए। कोविड-19 के बारे में एडवाइजरी या स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञापन को छोड़कर कोई विज्ञापन न जारी किया जाए। केंद्र सरकार मीडिया विज्ञापनों पर हर साल लगभग 1,250 करोड़ रु. खर्च करती है। इसके अलावा सरकारी उपक्रमों एवं सरकारी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों पर खर्च की जाने वाली सालाना राशि इससे भी अधिक है। सरकार के इस प्रयास से कोरोना वायरस द्वारा हुए अर्थव्यवस्था व समाज को होने वाले नुकसान की भरपाई में एक बड़ी राशि जुटाने में मदद मिलेगी। 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे सेंट्रल विस्टा, अन्य सौंदर्यीकरण और निर्माण कार्यों को स्थगित किया जाए। सोनिया ने लिखा है कि मुझे विश्वास है कि संसद मौजूदा भवन से ही अपना संपूर्ण कार्य कर सकती है। नई संसद व उसके नए कार्यालयों के निर्माण की आज की आपातकालीन स्थिति में जरूरत नहीं। ऐसे संकट के समय में इस खर्च को टाला जा सकता है। इससे बचाई गई राशि का उपयोग नए अस्पतालों में डायग्नोस्टिक सुविधाओं के निर्माण और हेल्थ वर्कर्स को पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्यूपमेंट (‘पीपीई’)पर किया जाना चाहिए।
भारत सरकार के खर्चे के बजट (वेतन, पेंशन एवं सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं को छोड़कर) में भी इसी अनुपात में 30 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए। यह 30 प्रतिशत राशि (लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष) प्रवासी मजदूरों, श्रमिकों, किसानों, एमएसएमई एवं असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को सुरक्षा चक्र प्रदान करने के लिए आवंटित की जाए।
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