कोरोना का खतराः भारत में 40% लोग शौचालय के बाद नहीं धोते हाथ
जानलेवा कोरोना वायरस अब तक हजारों लोगों की जान ले चूका हैं। संक्रमण से जूझ रहे देश बचाव के उपायों को ढूंढने में लगे हैं।
नई दिल्ली। जानलेवा कोरोना वायरस अब तक हजारों लोगों की जान ले चूका हैं। संक्रमण से जूझ रहे देश बचाव के उपायों को ढूंढने में लगे हैं। अब तक इस महामारी के चलते 21000 लोग मारे जा चुके हैं और पांच लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बरमिंघम के शोध में ये दावा किया गया है कि जिन देशों के लोगों को हाथ धोने की आदत नहीं होती है, वे स्वतः कोरोनोवायरस के संपर्क में ज्यादा होते हैं।
बीवीए फ्रांस सरल की ओर से 2015 में जारी किए गए हाथ-धोने की आदतों के डेटा का उपयोग करके वर्ल्डवाइड इंडिपेंडेंट नेटवर्क ऑफ मार्केट रिसर्च और गैलप इंटरनेशनल के सहयोग से एक अध्ययन किया गया।
यहां 63 देशों को शामिल किया गया है, जिसमें हर देश से कम से कम 500 उत्तरदाता और कुल मिलाकर 6 लाख 40 हजार 02 लोग शामिल हैं ।
शौचालय का उपयोग करने के बाद कम से कम 50% लोगों को स्वचालित हैंडवाशिंग की आदत नहीं है।
शोध में पाया गया कि शौचालय के प्रयोग के बाद हाथ धोने के मामले में सऊदी अरब के लोगों की आदत सबसे अच्छी है। महज तीन फीसदी लोग ही हाथ नहीं धोते। इसके अलावा, बोस्निया, अल्जेरिया, लेबनान और पापुआ न्यू गुइनिया भी शामिल हैं।
कोविड 19 वायर से बचाव के तहत बार बार साबुन से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोने की सलाह दी जाती है। छोटी अवधि में व्यक्तिगत स्वच्छता व्यवहार को जल्दी से प्रभावित करना संभव है, लेकिन किसी विशेष देश में या विश्व स्तर पर हाथ धौने की संस्कृति को बदलना अधिक कठिन काम है।
पत्रिका समाचार के अनुसार, बर्मिंघम लॉ स्कूल के डॉ एलेक्स खारलामोव के मुताबिक 'समय बताएगा कि क्या कोविद -19 की चुनौतियां दुनिया भर में हैंडवाशिंग संस्कृति को और अधिक एकीकृत बनाने में मदद करेंगी।
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