अफगानिस्तान में तालिबान से शांतिवार्ता को लेकर राजनीतिक उठापटक

अफगानिस्तान में कई महीनों की प्रतिबद्धता के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शुक्रवार को तालिबान से शांतिवार्ता के लिए 21 सदस्यीय दल की घोषणा की है।
अफगानिस्तान में कई महीनों की प्रतिबद्धता के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शुक्रवार को तालिबान से शांतिवार्ता के लिए 21 सदस्यीय दल की घोषणा की लेकिन उनके राजनीतिक विरोधियों ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह समावेशी नहीं है। अफगानिस्तान में राजनीतिक उठापटक की वजह से तालिबान के साथ बातचीत के हर कदम में बाधा उत्पन्न हुई। माना जा रहा है कि बातचीत अमेरिका और तालिबान के बीच पिछले महीने हुए शांति समझौते के अनुकूल होगी। समझौते के तहत अमेरिका अफगानिस्तान से अपने 13 हजार सैनिकों को वापस बुलाएगा जिसके बदले में तालिबान इस्लामिक स्टेट सहित अन्य आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ेगा। इस समझौते को अफगान युद्ध समाप्त करने के बेहतरीन मौके के रूप में देखा जा रहा है।
एनबीटी के अनुसार, हालांकि, गनी और उनके विरोधी अब्दुल्ला अब्दुल्ला के बीच सत्ता के लिए संघर्ष चल रहा है जिसका समाधान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी इस हफ्ते के शुरुआत में काबुल के आपात दौरे में नहीं करा पाए। अमेरिका ने कहा कि अगर दोनों नेता एकजुट होकर काम नहीं करेंगे तो अमेरिका अफगानिस्तान को दी जाने वाली सहायता में एक अरब डॉलर की कटौती करेगा। गनी द्वारा गठित 21 सदस्यीय दल का नेतृत्व अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख मासूम स्तानीकजई कर रहे हैं जिन्हें पिछले साल दबाव में इस्तीफा देना पड़ा था। इस बीच तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सोहेल शाहीन ने कहा कि संगठन का चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका के साथ हुए समझौते के अनुरूप अपने लड़ाकों की रिहाई की समीक्षा के लिए उत्तरी काबुल के बगराम स्थित अमेरिकी नीत गठबंधन सेना के ठिकाने पर जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 2001 में तालिबान को सत्ता से बेदखल करने के बाद पहली बार होगा जब तालिबान का कोई प्रतिनिधि अफगानिस्तान में आधिकारिक रूप से अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर जाएगा। इस बीच अफगान सरकार ने कोरोना वायरस के चलते शुक्रवार को काबुल में तीन हफ्ते के लिए लॉकडाउन की घोषणा की।