भारत: आरक्षण मुद्दे पर सियासत जारी, लोकसभा में विपक्ष का हंगामा
नियुक्तियों और पदोन्नतियों में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर लोकसभा में हंगामा हुआ।
नियुक्तियों और पदोन्नतियों में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर लोकसभा में हंगामा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि नियुक्तियों और पदोन्नतियों में आरक्षण देने के लिए राज्य बाध्य नहीं है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह आरक्षण प्रणाली की रक्षा करने में नाकाम रही है। इस पर सरकार ने सदन में स्थिति स्पष्ट की कि यह मामला उत्तराखंड सरकार के एक फैसले से जुड़ा है और वह मामले में पक्षकार नहीं थी।
दैनिक जागरण के अनुसार, लोकसभा में बयान पढ़ते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि मामला वर्ष 2012 में लिए गए उत्तराखंड सरकार के एक फैसले से जुड़ा है और उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए वचनबद्ध और समर्पित है। गहलोत ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र को हलफनामा दायर करने के लिए नहीं कहा था। उन्होंने बताया कि इस मामले को सरकार उच्चतम स्तर पर विचार-विमर्श कर रही है और वह उचित कदम उठाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं तथा पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने हाल में दिए गए फैसले में कहा कि न्यायालय राज्य सरकार को आरक्षण उपलब्ध कराने का निर्देश देने के लिए कोई परमादेश नहीं जारी कर सकता है। उत्तराखंड सरकार के पांच सितंबर, 2012 के फैसले को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी की थी।
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