इलेक्ट्रो-फ्रीक्वेंसी-वाइब्रेंशन टेक्नोलॉजी से हारेगा कोरोना वायरस
पदार्थों की तरंगों की आवृत्ति के आधार पर ईएफवी मॉडल आया है। इसमें दावा किया गया है कि कुछ दिनों तक 61 मिनट का समय खर्च करके कोई भी संक्रमित व्यक्ति कोरोना वायरस से मुक्ति पा सकता है।
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को हराने को लेकर शोध किए जा रहे हैं। बायोकेमिकल मॉडल (आधुनिक चिकित्सा पद्धति) ने जहां कोरोना वायरस के खिलाफ रासायनिक पदार्थों को लड़ाई का आधार बनाया है, वहीं एक वैकल्पिक पद्धति भी सामने आई है। पदार्थों की तरंगों की आवृत्ति के आधार पर ईएफवी (इलेक्ट्रो-फ्रीक्वेंसी-वाइब्रेंशन) मॉडल आया है। इसमें दावा किया गया है कि कुछ दिनों तक 61 मिनट का समय खर्च करके कोई भी संक्रमित व्यक्ति कोरोना वायरस से मुक्ति पा सकता है। वो भी बिना किसी दवा के। सिर्फ 21 मिनट तक कुछ अनुनाद आधारित आवाजें सुननी होगी।
दैनिक जागरण के अनुसार, क्या है इलेक्ट्रो-फ्रीक्वेंसी-वाइब्रेंशन : साउंड थेरेपिस्ट इक्वांक आनखा ने इस मॉडल को प्रस्तावित किया है। उन्होंने मशहूर वैज्ञानिक निकोला टेस्ला के सिद्धांत को आधार बनाया है। टेस्ला ने कहा था, ‘यदि आप यूनिवर्स के रहस्य जानना चाहते हैं तो ऊर्जा, तरंग और आवृत्ति पर फोकस कीजिए।’ इसी आधार पर इक्वांक का मानना है कि हर पदार्थ की अपनी आवृत्ति होती है, जिस पर उसकी तरंगें अनुनाद करती हैं। शोध में पाया गया कि कोरोना के जीनोम, पॉलिमर्स और प्रोटीन एक खास आवृत्ति पर अनुनाद करते हैं। मानव शरीर की भी अपनी आवृत्ति होती है और अनुनाद भी। चिकित्सा का यह मॉडल किसी प्रकार का साइड इफेक्ट पैदा नहीं करता है। इससे शरीर में किसी तरह का जहर पैदा नहीं होता है, जैसा आधुनिक चिकित्सा मॉडल में दवाओं के असर के कारण होता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इस मॉडल से किसी तरह का नुकसान संक्रमित व्यक्ति को नहीं होता है।
कैसे करती है काम : हमारा शरीर इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक पल्स पर काम करता है। हमारा दिल जब सही आवृत्ति पर नहीं धड़कता है तो एक इलेक्ट्रो- मैग्नेटिक डिवाइस पेसमेकर लगाई जाती है, जो सही इलेक्ट्रॉनिक पल्स भेजकर दिल को सही आवृत्ति पर काम करने को कहती है। हमारे शरीर की भी अपनी आवृत्ति और अनुनाद होते हैं। कोई भी वायरस, जो मूलत: एक कोशिका होती है, अपनी आवृत्ति और अनुनाद हमारे शरीर पर थोप देता है। अपने अनुनाद के जरिये ही वायरस जहर फैलाता है और शरीर को कमजोर करता है। ईएफवी मॉडल मानता है कि कोरोना के तीन मूल हिस्सों जीनोम (जैविक पदार्थ, पॉलिमर्स और प्रोटीन के जोड़ को बाहर से विरोधी आवृत्ति का अनुनाद देकर तोड़ा जा सकता है। यदि वायरस का जोड़ ही टूट जाएगा तो वायरस अपने आप निष्प्रभावी होकर मर जाएगा।
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