भारतीय वायुसेना की 38 साल तक सेवा करने वाला मिग-27 कल कि रिटायर हो गया है
भारतीय वायुसेना की 38 साल तक सेवा करने वाला मिग-27 कल यानी कि रिटायर हो गया है।
भारतीय वायुसेना की 38 साल तक सेवा करने वाला मिग-27 कल कि रिटायर हो गया है। इसकी नायाब खासियतों के चलते सेना इसे बहादुर नाम से बुलाती थी। वहीं मिग-27 की मारक क्षमता से भयभीत होकर पाकिस्तान इसे चुड़ैल कहता था। चार दशक तक मिग-27 ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मन को कई बार मात दी।
दैनिक सवेरा के अनुसार, मिग अपने जमाने का सबसे बेहतरीन 27 लड़ाकू विमान था। जोकि दुश्मन को भनक लगने से पहले यह उसे नेस्तनाबूत कर देता था। यह 1700 किलोमीटर प्रतिघंटे की उड़ान भरने में सक्षम था। 38 साल पहले 1981 में जोधपुर एयरबेस से मिग-27 का सफर शुरू हुआ था। भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया था। यह सक्षम लड़ाकू विमान जमीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है। वायु सेना के सभी प्रमुख अभियानों में भाग लेने के साथ मिग-27 ने 1999 के कारगिल युद्ध में भी अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी।
सोवियत यूनियन सरकार के शासनकाल में रूसी कंपनी मिकोयन मिरेविच कंपनी द्वारा निर्मित मिग-27 युद्धक विमान को भारतीय वायुसेना में साल 1985 में शामिल किया गया। वायुसेना में शामिल होने के बाद दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विमानों में से एक मिग-27 ने 34 साल देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। 1999 में कारगिल युद्ध में तो इस युद्धक विमान के जरिये जांबाज पायलटोें ने दुश्मन पर ताबड़तोड़ हमले कर उनके ठिकानों को तहस-नहस कर दिया था।
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