भारत : जबलपुर के इंजीनियरों ने बनाई आर्टिलरी गन की डिजाइन
जबलपुर के पं.द्वारिका प्रसाद मिश्र राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण संस्थान (ट्रिपल आईटी डीएम) के इंजीनियरों ने 155एमएम/45 कैलिबर आर्टिलरी गन (धनुष तोप) की डिजाइन बनाई है।
जबलपुर के पं.द्वारिका प्रसाद मिश्र राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण संस्थान (ट्रिपल आईटी डीएम) के इंजीनियरों ने 155एमएम/45 कैलिबर आर्टिलरी गन (धनुष तोप) की डिजाइन बनाई है। इस संस्थान में भारतीय सेना के लिए अन्य और 3 आर्टिलरी गन के डिजाइन तैयार किए गए हैं। यानि 'मेक इन इंडिया' के तहत यह आधुनिक तकनीकयुक्त स्वदेशी धनुष तोप बनाने में शहर की गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) के बराबर ही ट्रिपल आईटी डीएम का भी योगदान है। देश की सरहद पर सैन्य अफसरों ने अपनी पहली पसंद धनुष तोप तैनात की है। सैन्य जवानों का दल इस आधुनिक व स्वदेशी तोप से घुसपैठ, हमला करने की कोशिश करते दुश्मनों पर बमबारी के लिए हर पल तैयार रहता है।
नई दुनिया के अनुसार, सेना के लिए बनाई गई इस स्वदेशी तोप का 81 फीसदी हिस्सा देश में बनाया गया है। शिक्षण संस्थान ट्रिपल आईटीडीएम के इंजीनियरों ने आर्टिलरी गन की डिजाइन ऐसी बनाई है कि इसकी मारक क्षमता बढ़कर 39 किलोमीटर (लगभग दोगुनी) हो गई है। देश में यह स्वदेशी तोप बनाए जाने से पहले तक सेना के लिए रक्षा मंत्रालय विदेशों से आधुनिक अस्त्र-शस्त्रों की खरीदी करता रहा। अब देश में स्वदेशी व आधुनिक तोप का उत्पादन होने से बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा की बचत होगी। केंद्र ने रक्षा मंत्रालय के माध्यम से देश में नई तकनीक लाने स्वीडन, रूस से टीओटी करार किए हैं।
जबकि यह पहला मौका है जब कोई आर्टिलरी गन स्वदेशी तकनीक से बनाने में ट्रिपल आईटीडीएम के इंजीनियरों ने अहम् योगदान दिया है। सूत्रों की माने तो सैन्य प्रशासन और संस्थान प्रबंधन के बीच आर्टिलरी गन बनाने के प्रोजेक्ट पर सहमति बनी। डिपार्टमेंट ने इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से गोपनीय रखकर लंबे समय तक रिसर्च किया। विशेषतौर पर संस्थान के रिसर्च विंग सेना के लिए आधुनिक आर्टिलरी गन का डिजाइन बनाने में सफल रहा। इसके तहत स्वदेशी तोप (गन) का डिजाइन और अंदर के हिस्सों में नए-नए सुधार किए गए।