भारतीय नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने बजट से पहले वित्तीय सख्ती पर चेताया
नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने राजकोषीय स्तर पर सख्ती को लेकर सरकार को आगाह किया है। उनका कहना है कि सरकार को वित्तीय सख्ती से बचना चाहिए, क्योंकि पहले ही फिस्कल डेफिसिट(सरकार की कमाई और खर्च के बीच का अंतर) का स्तर बड़े मार्जिन से टूट चुका है।
नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने राजकोषीय स्तर पर सख्ती को लेकर सरकार को आगाह किया है। उनका कहना है कि सरकार को वित्तीय सख्ती से बचना चाहिए, क्योंकि पहले ही फिस्कल डेफिसिट(सरकार की कमाई और खर्च के बीच का अंतर) का स्तर बड़े मार्जिन से टूट चुका है। अभिजीत का कहना है, 'बजट डेफिसिट का आंकड़ा थोड़ा काल्पनिक है, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि वह स्तर टूटता है तो कोई बड़ी बात है, हां मौजूदा समय में मैं राजकोषीय स्तर पर किसी तरह की सख्ती के पक्ष में नहीं हूं।'
NBT के अनुसार, साल 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता अभिजीत ने जो सिफारिशें कीं उसमें सरकार की प्रमुख चुनौतियों का जिक्र है, जो पहले ही वित्तीय अनुशासन को लेकर रेटिंग एजेंसियों का दबाव झेल रही है।
अभिजीत से जब शिक्षा आवंटन खर्च में 3000 करोड़ रुपये की कटौती के प्रसाताव की रिपोर्ट के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, वह समुद्र में जीरा समान था। वह बोले, 'फेडरल गवर्नमेंट शिक्षा पर काफी कम खर्च करती है, यह सरकार का मामला है। हमें उसका बेहतरीन उपयोग करना चाहिए क्योंकि हमारे पास पहले ही ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें बेहतरीन पे किया जाता है।' उनका मानना है, इकॉनमी को पटरी पर लाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने से शिक्षा की फंडिंग पर शायद ही कोई फर्क पड़े। वह बोले, 'जब लोग मै क्रो इकॉनमी की चिंता करते हैं तब जाहिर तौर पर शिक्षा पर ध्यान कम हो जाता है, जो अच्छी बात नहीं है।'
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