भारत की पहली महिला चिकित्सक जिसने अमेरिका की धरती पर कदम रख कर डॉक्टरी की पढ़ाई की
8वीं शताब्दी में भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं जिसने विदेश जाकर पढ़ाई की । इस महान महिला का नाम है आनंदीबाई जोशी।
भारत में महिलाओं की स्थिति पहले के मुकाबले बहुत सुधरी है। 18वीं शताब्दी में भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं जिसने विदेश जाकर पढ़ाई की । इस महान महिला का नाम है आनंदीबाई जोशी।
अमर उजाला के अनुसार, आनंदीबाई जोशी का जन्म 31 मार्च 1865 को पुणे शहर में हुआ था। नौ वर्ष की छोटी सी उम्र में इनका विवाह अपने से करीब 20 साल बड़े व्यक्ति गोपालराव से हुआ था। मात्र 14 साल की अल्पायु में मां बनने के करीब दस दिन बाद ही इनके पुत्र की मृत्यु हो गई थीं। इस बात का आनंदीबाई जोशी को इतना गहरा आघात लगा कि उन्होंने पढ़-लिख कर डॉक्टर बनने और असमय हो रहीं मौतों को रोकने का प्रण लिया।
आनंदीबाई के इस प्रण का उनके पति गोपालराव ने भी साथ दिया। परिवार और समाज की आलोचनाओं का उन पर तनिक भी असर नहीं पड़ा। क्योंकि उस समय एक शादीशुदा हिंदू महिला का विदेश जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई करना अच्छा नहीं माना जाता था। 1886 में अपने सपने को पूरा करके वापस भारत लौट कर आ गईं।
डॉक्टरी की पढ़ाई करने पेनिसिल्वेनिया पहुंची आनंदीबाई जोशी डॉक्टरी की डिग्री लेकर भारत लौटीं तो उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। बाईस वर्ष की अल्पायु में ही उनकी मृत्यु हो गई।
1880 में पति गोपालराव ने आनंदीबाई जोशी की शिक्षा के लिए एक प्रसिद्ध अमेरिकी मिशनरी रॉयल वाइल्डर को पत्र लिख कर बताया था। 1986 में डॉक्टरी की पढ़ाई कर भारत लौटीं आनंदीबाई को कोल्हापुर की रियासत में अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल में महिला वार्ड के चिकित्सक के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया था। पर, अगले ही वर्ष 26 फरवरी 1887 को तपेदिक के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
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