भारतीय सरकार का अहम फैसला, 13 देशों को दिया जाएगा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन टैबलेट
कोविड-19 कोरोनावायरस में कारगर समझी जाने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) टैबलेट की वैश्विक मांग तो लगातार बढ़ती जा रही है
कोविड-19 कोरोनावायरस में कारगर समझी जाने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) टैबलेट की वैश्विक मांग तो लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन फिलहाल भारत ने 13 देशों को इसकी आपूर्ति करने का फैसला किया है। इसमें अमेरिका, स्पेन और जर्मनी जैसे देश हैं जो पहले ही भारतीय कंपनियों के साथ इस दवा के लिए अनुबंध कर रखे थे। जो दूसरे देश हैं उनमें अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश व मालदीव भी हैं जिन्हें प्राथमिकता के तौर पर उक्त दवा के अलावा पारासीटामोटल (पीसीएम) भी दी जाएगी। हिंद महासागर में स्थित दो अन्य छोटे देशों सेशल्स व मारीशस के अलावा ब्राजील व डोमिनिक रिपब्लिक व बहरीन को भी एचसीक्यू की आपूर्ति की जा रही है।
दैनिक जागरण के अनुसार, भारत इन दवाओं की आपूर्ति को लेकर फैसला दो तथ्यों पर उठा रहा है। पहला यह कि घरेलू जरुरत पूरा होने के बाद ही दूसरे देशों को यह दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक भारत अभी एचसीक्यू की 20 करोड़ टैबलेट तैयार कर सकता है, लेकिन जरुरत अभी एक करोड़ की है जबकि 3.28 करोड़ टैबलेट तैयार हैं। मोटे तौर पर अभी योजना यह है कि जरुरत से तीन गुणा ज्यादा टैबलेट अपने पास रख कर दूसरे देशों को मानवता के आधार पर इसकी आपूर्ति की जाए।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पिछले 10 दिनों में कई देशों की तरफ से इसकी मांग आई है और शुरुआती तौर पर ऐसा लग रहा है कि कई देश आपातकालीन स्थिति के लिए जरुरत से ज्यादा इसकी मांग कर रहे हैं। हर देश की मांग की समीक्षा करने के बाद अपने स्टाक के मुताबिक उनके बीच इन दवाओँ का विभाजन होगा। अमेरिका, स्पेन जैसे देशों ने पहले ही भारतीय कंपनियों को इसके आर्डर कर रखे हैं इसलिए उन्हें पहले दिया जाएगा। एक तरह से 'फर्स्ट कम, फर्स्ट गेट' का नियम लागू किया जाएगा।
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