भारत: कोरोना वायरस से डरे विदेशी निवेशकों ने मार्च में निकाले ₹1.1 लाख करोड़
कोरोना वायरस महामारी की मार ने दुनियाभर के कारोबारी सेंटिमेंट को प्रभावित किया है।
कोरोना वायरस महामारी की मार ने दुनियाभर के कारोबारी सेंटिमेंट को प्रभावित किया है। इसके चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च में भारतीय पूंजी बाजारों से 1.1 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड निकासी की है।
ET के अनुसार, डिपॉजिटरीज से मिले आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने मार्च में शेयरों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले, जबकि डेट बाजार से 56,211 करोड़ रुपये खींच लिए। इस तरह कुल मिलाकर उन्होंने भारतीय पूंजी बाजार से 1,18,184 करोड़ रुपये की निकासी की। इससे पहले छह महीने यानी सितंबर 2019 से फरवरी 2020 तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध निवेश किया था। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी द्वारा जब से एफपीआई के निवेश के आंकड़े उपलब्ध कराए जा रहे हैं तब से यह उनके द्वारा किसी महीने में की गई निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। अप्रैल में सिर्फ दो सत्र में विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजारों से 6,735 करोड़ रुपये की निकासी की है। इसमें से 3,802 करोड़ रुपये शेयर बाजार से और 2,933 करोड़ रुपये डेट बाजार से निकाले गए हैं। गुरुवार को रामनवमी के मौके पर शेयर बाजार बंद थे।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषण प्रबंधक शोध, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर निवेशक काफी चिंतित हैं, इसके चलते विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से निकासी कर रहे हैं। भारत इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा, "यह संकट कितना गंभीर है इसका अंदाजा विदेशी निवेशकों की बिकवाली की तीव्रता से लगाया जा सकता है। साल 2008 के आर्थिक संकट के दौरान भारतीय बाजारों ने $9.3 अरब की बिकवाली की गई थी। मार्च 2020 में उनकी बिकवाली $16.5 अरब की रही है।"
विदेशी निवेश के भविष्य को लेकर श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसी उम्मीद नहीं की गई थी। तमाम निवेशक जोखिम से परहेज कर रहे हैं। ऐसे में भारत जैसे उभरते हुए बाजारों के लिए हालात अधिक संवेदनशील हैं। कोरोना वायरस के हालात स्थिर होने तक दीर्घावधि निकासी जारी रह सकती है।
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