कोरोना काल में भारत ने दिखाई वैश्विक नेतृत्व क्षमता, अर्थव्यवस्था को सहारा देने में भी रहा अगुआ
कोरोना महामारी के बीच जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता है। हर देश अपनी समस्या से पार पाने की कोशिशों में जुटा है, वहीं भारत ने नेतृत्व क्षमता दिखाई है।
कोरोना महामारी के बीच जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता है। हर देश अपनी समस्या से पार पाने की कोशिशों में जुटा है, वहीं भारत ने नेतृत्व क्षमता दिखाई है। ऐसे वक्त में जब ब्रिटेन, फ्रांस, इटली व जर्मनी जैसे देशों के हाथ कांप रहे हैं और अमेरिका ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए है कि हालात बिगड़े तो 20 लाख अमेरिकियों की भी मौत हो सकती है।
दैनिक जागरण के अनुसार, ऐसे वक्त में 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन जैसे साहसिक निर्णय के कारण भारत अब तक ऐसे स्थान पर खड़ा है कि जहां भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) आशावादी भरोसा जता रही है। परिषद कह रही है कि लोगों ने पूरा साथ दिया तो स्थिति बिगड़ने नहीं दी जाएगी।वहीं, इस बुरे दौर में सामाजिक हालात और अर्थव्यवस्था को सहारा देने की योजना में भी भारत ने नेतृत्व क्षमता दिखाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही पहले जी-7 और फिर जी-20 देशों की बैठक में यह बात सामने आई कि हमें सामूहिक रूप से इस आपदा से निपटना चाहिए तथा मानवीय मूल्यों पर पहले गौर करना चाहिए। जब देश के अंदर गरीबों की मदद की बात आई तो भारत ने ही पहल की। मोदी सरकार की ओर से 1.70 लाख करोड़ रुपये की राहत योजना की घोषणा की गई। उसके दूसरे दिन अमेरिका में ट्रंप सरकार ने भी दो ट्रिलियन डॉलर की योजना घोषित की जो आकार में भारत से बहुत बड़ी दिख सकती है। दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में फर्क के लिहाज से यह अंतर लाजिमी है, पर सोच की बात करें तो ट्रंप की घोषणा में मोदी की सोच झलकती है।
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