इतनी जल्दी भारत का पीछा नहीं छोड़ेगा कोरोना, AIIMS डायरेक्टर बोले- लग सकते हैं दो साल
कोरोना वायरस ने भारत में कहर बरपा रखा है।
कोरोना वायरस ने भारत में कहर बरपा रखा है। 15700 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मगर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत में कोरोना अभी अपनी पीक पर नहीं पहुंचा है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) ऋषिकेश के डायरेक्टर डॉ. रवि कांत का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद कोरोना के मामले सबसे ज्यादा होंगे। उन्होंने कहा कि मई या जून में ऐसा हो सकता है। डॉ. रवि ने रेडिफ से बातचीत में कहा कि भारत की 65 फीसदी आबादी के वायरस से रेजिस्टेंस पैदा करने में दो साल लग जाएंगे।
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, AIIMS डायरेक्टर ने कहा कि लॉकडाउन एक टेम्प्रेरी पीरियड है जिसमें अस्पतालों को तैयार किया जाना है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से बीमारी खत्म नहीं की जा सकती। वायरस हमारे लोगों के बीच में रहेगा और जैसे ही लोग एक-दूसरे से मिलना-जुलना शुरू करेंगे, वह फैलना शुरू कर देगा। इसलिए नई गाइडलाइन ये है कि बुजुर्गों को बचाइए। जब तक देशकी 65 फीसदी पॉपुलेशन को इम्युनिटी नहीं मिलती, वायरस फैलता रहेगा।
डॉ. रवि के मुताबिक, जल्द से जल्द इकनॉमिक एक्टिविटीज शुरू होन जानी चाहिए। क्योंकि बिना इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज के हमारी जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा, खासकर गरीब तबका सर्वाइव नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि इकनॉमिक एक्टिविटीज शुरू होते ही लाइफ नॉर्मल हो जाएगी। डॉ. रवि के मुताबिक, हमें वायरस को चुनौती देते हुए उसे स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि युवा इस वायरस को अच्छे से सहन कर लेंगे। हालांकि निम्न मृत्युदर रहेगी मगर उतनी स्वीकार्य होगी। जरूरत ये है कि बुजुर्गों को बचाया जाए क्योंकि उनका इलाज नहीं हो सकता।
AIIMS डायरेक्टर के मुताबिक, बीमारी का खात्मा तभी होगा जब वैक्सीन बन जाएगी और वैक्सीन अभी दो साल दूर है। इसलिए अगले दो साल तक हमें सावधानी बरतनी होगी। हाथ मिलाने से बचना होगा, वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग गलत टर्म है और इसे हटा देना चाहिए। सामाजिक रूप से तो हमें साथ रहना चाहिए। हमें जरूरत फिजिकल डिस्टेंसिंग की है।
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