कोरोना फाइटर्स: योग का असर, कोरोना हुआ बेअसर, भारतीय निवासी सौरभ गुप्ता की कहानी
इच्छाशक्ति हो तो किसी भी परिस्थिति में जीत संभव है। कठिन वक्त में दृढ़शक्ति से जिंदगी संभव है। एक उदाहरण नोएडा के सेक्टर-74 स्थित सुपरटेक केपटाउन निवासी 42 वर्षीय सौरभ गुप्ता का जिन्होंने चिकित्सीय सलाह और योग से एक वायरस को मात दे दी।
नोएडा। इच्छाशक्ति हो तो किसी भी परिस्थिति में जीत संभव है। कठिन वक्त में दृढ़शक्ति से जिंदगी संभव है। एक उदाहरण नोएडा के सेक्टर-74 स्थित सुपरटेक केपटाउन निवासी 42 वर्षीय सौरभ गुप्ता का जिन्होंने चिकित्सीय सलाह और योग से एक वायरस को मात दे दी। महज बारह दिनों में कोरोना को हराकार घर वापसी की।
जागरण के अनुसार, सैलून संचालक सौरभ ने 18 फरवरी से 8 मार्च तक पत्नी के साथ इस्तांबुल, लंदन, पेरिस, रोम व स्विट्जरलैंड की यात्रा की और नौ मार्च को स्वदेश आ गए। लौटने के दो-तीन दिन बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ गई और फिर वो क्वारंटाइन हो गए।
दिनचर्या में था शामिल :
कपालभाति।
सूर्य नमस्कार।
अनुलोम-विलोम।
क्वारंटाइन होने के बाद भी तबीयत ठीक न होने पर चार मार्च को पत्नी के साथ जिम्स पहुंचकर जांच कराई और भर्ती हो गए। 17 मार्च को रिपोर्ट में पत्नी तो नेगेटिव निकली, लेकिन मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। फिर आइसोलेशन वार्ड में चिकित्सकों की सलाह से नियमित दवा ली और योग-आसन शुरू कर दिया। मुझे ऐसा लगा कि दवा जहां शारीरिक शक्ति दे रहा था तो योग मानसिक शक्ति बढ़ा रहा था। योग ने सांस लेने की क्षमता को बढ़ाया और कोरोना का खौफ भी मन से निकल गया।
परिवार से दूर रहने का दर्द क्या होता है, इसका अनुभव मुझे आइसोलेशन वार्ड में ही हुआ। एक तरफ जहां परिवार की सेहत को लेकर खुश था, वहीं दूसरी ओर बच्चों से दूरी दिल पर खंजर की तरह चलती थी। उन्हें देखने के लिए व्हाट्सएप पर वीडियो कॉलिंग ही सहारा था। अकेलेपन को दूर करने के लिए फोन ही रास्ता था।
योग से कर्मों में कुशलता आती है। मैंने योग व चिकित्सीय जांच से अपने साथ परिवार की जिंदगी बचा ली है। यदि आप भी योगासन को दिनचर्या में शामिल कर लें तो किसी भी बीमारी को दूर भगा सकते हैं बल्कि उसे आने से भी बचा सकते हैं।
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