भारत में शुरू हुआ कोरोना की दवा का क्लीनिकल ट्रायल, बाजार में आने में लगेगा इतना वक्त

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 32 लाख के पार पहुंच गई है। अभी तक किसी भी देश के पास इसकी वैक्सीन नहीं है, जिस वजह से संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है।
नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 32 लाख के पार पहुंच गई है। अभी तक किसी भी देश के पास इसकी वैक्सीन नहीं है, जिस वजह से संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है। भारत में कोरोना की वैक्सीन के लिए कई जगहों पर रिसर्च चल रही है, जिसमें से एक चंडीगढ़ PGIMER भी है। जहां पर एक दवा का क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है। अगर ट्रायल सफल रहा है तो तीन महीने में कोरोना की दवा और वैक्सीन बाजार में आ जाएगी।
कोरोना जैसे लक्षण वाली कई बीमारियां और हैं, जिसमें फेफड़ों में संक्रमण या दर्द की शिकायत होती है। जिसमें सेप्सिवाक का इस्तमाल किया जाता है। ये दवा मरीज के इम्यून सिस्टम को और मजबूत करती है, ताकी वो बीमारी से लड़ सके। अब सेप्सिवाक का परीक्षण चंडीगढ़ PGIMER ने शुरू कर दिया है। कैडिल फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने भी सीएसआईआर की मदद से सेप्सिवाक बनाया है। चंडीगढ़ के अलावा दिल्ली और भोपाल में सेप्सिवाक के ट्रायल की अनुमति ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने दे दी है।
वनइंडिया हिंदी के अनुसार, इस मामले में चंडीगढ़ PGIMER में ट्रायल प्रोग्राम के को-ऑर्डिनेटर डॉ. राम विश्वकर्मा ने बताया कि दवा के रूप में सेप्सिवाक का क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है। वहीं जिन मरीजों में लक्षण नहीं दिख रहे उन पर वैक्सीन के रूप में इसका ट्रायल किया जाएगा। उसके बाद पता लगाया जाएगा कि क्या सेप्सिवाक से कोविड का इलाज हो सकता है। वहीं WHO के मुताबिक कोरोना इंसान के शरीर में एक महीने तक रह सकता है, ऐसे में इसका एक ट्रायल ठीक हुए या क्वारंटाइन में रह चुके मरीजों पर किया जाएगा। वहीं अगर ट्रायल सही रहा तो तीन महीने के अंदर ये दवा लोगों के लिए उपलब्ध करवा दी जाएगी।