कोरोना की तुरंत नतीजे वाली जांच पर वैज्ञानिकों ने उठाए सवाल, स्पेन ने चीन को लौटाईं किट
कोरोना संक्रमितों की जांच के हाल ही में विकसित दो तरह की जांच को लेकर जहां कुछ राजनेता उत्साहित हैं वहीं वैज्ञानिकों ने इन जांच नतीजों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
कोरोना संक्रमितों की जांच के हाल ही में विकसित दो तरह की जांच को लेकर जहां कुछ राजनेता उत्साहित हैं वहीं वैज्ञानिकों ने इन जांच नतीजों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिये हैं। इनमें से एक तरह की जांच संभावित मरीज की नाक से लिये गये तरल नमूने और दूसरी जांच सुई की नोक पर लिये गये रक्त नमूने से हो रही है। कोरोना वायरस कोविड-19 से जंग लड़ रहे स्पेन में संसाधनों का टोटा पड़ गया है। ऐसे में हाल ही में विकसित नाक-गले से लिए गए तरल नमूने और सुई की नोक पर लिए गए रक्त नमूनों से तत्काल परिणाम देने वाली जांच ने बड़ी उम्मीद जगाई थी लेकिन स्पेन ने खराब कोरोना जांच किट की खेप चीन को लौटा दी है।
दैनिक जागरण ने समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार लिखा है कि, चीन की सरकार के मुताबिक इस किट को बनाने वाली कंपनी के पास इसकी बिक्री का लाइसेंस तक नहीं है। हालांकि ब्रिटिश पीएम बोरिस जानसन ने तत्काल नतीजे देने वाली जांच किट को गेमचेंजर बताते हुए 35 लाख किट का आर्डर दे दिया है। जानसन के अनुसार इन टेस्ट से फौरन पता चल जाएगा कि कौन इस वायरस की चपेट में है और कौन ठीक होकर काम पर लौट सकता है। इन आसान टेस्ट से स्वास्थ्य विभाग के वे कर्मचारी जल्द जल्द काम पर लौट सकेंगे जिन्होंने बीमारी की आशंका पर खुद को घरों में क्वारंटाइन कर रखा है।
उधर कई वैज्ञानिकों को इन टेस्ट पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। उनका मानना है कि इतनी जल्दी सही जांच नतीजे नहीं मिल सकते। पिछले कई महीनों से जांच का जो तरीका प्रचलित है उसमें मरीज के गले और नाक से रुई के जरिये तरल नमूना लिया जाता है जिसमें जिंदा वायरस हों। इन नमूनों की अनगिनत प्रतियां बनाई जाती हैं जिनका कंप्यूटर से विश्लेषण किया जाता है। इस काम में कई-कई दिन लग जाते हैं। जबकि नये तरीके के टेस्ट जो कि फ्लू की जांच से मिलते-जुलते हैं मात्र 15 मिनट में परिणाम दे रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तत्काल जांच के नतीजे पारंपरिक जांच के मुकाबले कम विश्वसनीय हैं।
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