सेना की बुलेटप्रूफ जैकेट पर भी पड़ रहा है कोरोना वायरस का असर
सेना के जवानों को रक्षा मंत्रालय ने अत्याधुनिक 1.86 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट देने का फैसला किया।
इंफैट्री के जवान आतंकियों से लोहा ले रहे हैं। चीन में बनी स्टील बुलेट (गोली) से सेना के जवानों पर हमला बोल रहे हैं। इससे निबटने के लिए सेना के जवानों को रक्षा मंत्रालय ने अत्याधुनिक 1.86 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट देने का फैसला किया। सौदा देश की ही बुलेट प्रूफ बनाने वाली कंपनी को अवार्ड हो गया है, लेकिन अब इस पर कोरोना वायरस का असर पड़ने की आशंका है। सैन्य सूत्र बताते हैं कि चीन में कोरोना वायरस के कहर के कारण सैन्य बलों को बुलेट प्रूफ जैकेट मिलने में देर हो सकती है।
अमर उजाला के अनुसार, सैन्य सूत्र बताते हैं कि बुलेटप्रूफ जैकेट के परीक्षण के दौरान जो सैंपल सौंपे गए और जैकेट के बारे में विवरण दिया गया था, उसमें यूरोपीय कच्चा माल था, लेकिन सौदा अवार्ड होने के बाद संबंधित निर्माता कंपनी ने यूरोपीय कच्चे माल पर आधारित बुलेटप्रूफ जैकेट दे पाने में असमर्थता जताई। बताते हैं इसके बाद सेना मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय ने बुलेटप्रूफ जैकेट की अपरिहार्य जरूरत को देखते हुए चीन के कच्चे माल पर आधारित जैकेट की आपूर्ति करने की मंजूरी दे दी थी। अब इस आपूर्ति में करोना वायरस का असर हावी होता दिखाई पड़ रहा है।
बताते हैं 30 हजार के करीब तैयार बुलेटप्रूफ जैकेट इंफैट्री के जवानों को उपयोग के लिए दी जा चुकी हैं। उम्मीद है कि जल्द ही 10 हजार जैकेट की एक खेप जल्द ही सेना को मिल जाएगी, लेकिन इसके बाद आगे की आपूर्ति में कुछ समय लग सकता है।सैन्य सूत्र का कहना है कि चीन से आयात होने वाले हर मामले में यह देरी स्वाभाविक हैं। जैकेट की गुणवत्ता के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा कि सेना अपने हर साजो सामान को उच्च स्तर पर परखने के बाद लेती है। सैन्य बलों में गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता।
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