500 साल पहले चीन ने कराया था ब्रश का पेटेंट, जानवर के बालों से बना था पहला टूथब्रश

आज दुनिया दांतों की सफाई को लेकर काफी जागरुक है। लोग सुबह उठते ही सबसे पहले दांत को ब्रश से साफ करना पसंद करते हैं।
आज दुनिया दांतों की सफाई को लेकर काफी जागरुक है। लोग सुबह उठते ही सबसे पहले दांत को ब्रश से साफ करना पसंद करते हैं। अब तो मार्केट में इलेक्ट्रिक टूथब्रश तक आ गए हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ब्रश की शुरुआत कैसे और कहां से हुई? ब्रश का चलन 500 साल पहले चीन से शुरू हुआ था। . सबसे पहले लोग दांतों की सफाई के लिए एक चबाने वाली लकड़ी का प्रयोग करते थे। प्राचीन बेबीलोनिया में लगभग 3000-3500 ईसा पूर्व में इसका उपयोग किया जाता था। मिस्र की सभ्यताओं में इस चबाने वाली लकड़ी में एक और एक पंख की डंडी हुआ करती थी। इसका उपयोग दांतों को साफ करने के लिए किया जाता था। यह चबाने वाली लकड़ी वैसे ही दिखती थी, जैसे आज का टूथब्रश।
अमर उजाला के अनुसार, प्राचीन चीनी लेखन में कहा गया है कि लगभग 1600 ईसा पूर्व लोग सुगंधित पेड़ की टहनियों का उपयोग दांत साफ करने के लिए करते थे। भारत में भी प्राचीन काल में नीम के पेड़ की टहनियों का इस्तेमाल टूथब्रश के तौर पर होता था। चीनी में 1223 के लेखन से पता चलता है कि भिक्षुओं ने अपने दांतों को साफ करने के लिए घोड़े की पूंछ के बाल से बने ब्रश का उपयोग किया था। वैसे 1498 में 26 जून को चीन के राजा ने टूथब्रश का पेटेंट कराया था। यहीं से ब्रश का इतिहास माना जाता है।
पहला टूथब्रश जानवर के बालों से बना था, जो किसी हड्डी या बांस के टुकड़ों पर लगे होते थे। 1938 में जानवरों के बाल के बजाय नाइलोन के ब्रिस्टल इस्तेमाल होने लगे। 1939 में स्विस इलेक्ट्रिक टूथब्रश आया। 1950 के दशक तक टूथब्रश ने आज के जैसा आकार ले लिया। अधिक तकनीकी प्रगति ने टूथब्रश को और भी विकसित करना संभव बना दिया। 1960 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने इलेक्ट्रिक टूथब्रश की शुरुआत की।
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