भारत: लॉकडाउन के चलते सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए मनाएं माहे रमज़ान

देश-दुनिया के मुसलमानों के लिए आने वाला पवित्र रमजान का महीना बहुत महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण होगा।
देश-दुनिया के मुसलमानों के लिए आने वाला पवित्र रमजान का महीना बहुत महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण होगा। इसका कारण कोविड-19 का कहर और उससे निपटने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन है। इस लॉकडाउन को बढ़ाने के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों वाले इलाको को हॉट-स्पाट घोषित कर वहां सख्ती बढ़ाई जा रही है। नि:संदेह आस्था से जुड़े हुए कर्मों और इबादत को पूरा करना भी महत्वपूर्ण है, लेकिन विषम परिस्थितियों में हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इन मुश्किलों का सामना ही असल मेहनत और कठिन कार्य है जो हर मुसलमान को स्वयं करना है, ताकि वह इस आपदा के समय रमजान के पवित्र महीने की भावना को भी पूरा कर सके और साथ ही ऐसा आचरण कर सके जिससे वह खुद और उसका परिवार, पड़ोसी एवं समाज का स्वास्थ्य ठीक रहे और देश को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
भारतीय अखबार दैनिक जागरण के अनुसार, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, मुस्लिम धर्मगुरुओं, अन्य महत्वपूर्ण लोगों ने मुस्लिम समाज को इसके लिए अवगत कराना शुरू कर दिया है कि वह रमजान में क्या करें और क्या न करें? इसके लिए आवश्यक संदेश आडियो-वीडियो द्वारा दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद खतरा बना हुआ है। दरअसल असली चुनौती सदियों से चली आ रही परंपरा से हट कर चलने की है। रमजान में इफ्तार के समय सबका मिलकर बैठना, पास-पड़ोस और मस्जिदों में इफ्तारी बांटना, इफ्तार के बाद सामूहिक नमाज पढ़ना और तरावी यानी कुरान का पाठ इत्यादि करना दिनचर्या का अभिन्न अंग होता है।
यह दिनचर्या करीब तीस दिन चलती है। इसमें रोज शाम को खरीदारी और सहरी तक जागना ऐसे काम हैं जिनसे कोरोना कहर के इस दौर में बचना ही होगा, क्योंकि इसके अलावा और कोई उपाय नहीं। घनी आबादी वाले इलाकों में एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर रखना एक बड़ी चुनौती है। सभी को इस चुनौती को स्वीकार करना होगा और यह समझना होगा कि इफ्तार, सहरी या नमाज में भीड़ नहीं जमा करनी है।