भारत में अगले वित्त वर्ष भी टैक्स कलेक्शन में कमी के आसार, 21 दिन के लॉकडाउन से जीडीपी पर 1.7 फीसद का असर
एसबीआई इकोरैप के अनुमान के मुताबिक इस 21 दिन के लॉकडाउन से आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के जीडीप पर 1.7 फीसद का असर दिखेगा
कोरोना के प्रभाव से जनता को बचाने के लिए सरकार ने एक तरफ जहां खजाना खोल लिया है, वहीं खजाने में आने वाली राशि पर बुरी नजर लग गई है। डायरेक्ट टैक्स और जीएसटी दोनों ही टैक्स कलेक्शन में सिर्फ चालू वित्त वर्ष ही नहीं, अगले वित्त वर्ष में भी गिरावट की आशंका है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में जीएसटी कलेक्शन में संशोधित लक्ष्य के मुकाबले 5 फीसद तक की गिरावट रह सकती है।
दैनिक जागरण के अनुसार, वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 29 फरवरी तक जीएसटी कर का वास्तविक संग्रह 8.75 लाख करोड़ था जो कि संशोधित अनुमानित लक्ष्य से 1.11 लाख करोड़ कम है। अप्रत्यक्ष कर संग्रह का संशोधित अनुमानित लक्ष्य 9.86 लाख करोड़ है। टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक टैक्स कलेक्शन के रुख को देखते हुए अगर सरकार मार्च महीने में कुल लक्ष्य का 12 फीसद वसूलने में कामयाब हो जाती है तो भी लक्ष्य के मुकाबले 6000 करोड़ की गिरावट रह सकती है।
एसबीआई इकोरैप के अनुमान के मुताबिक इस 21 दिन के लॉकडाउन से आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के जीडीप पर 1.7 फीसद का असर दिखेगा क्योंकि इस दौरान देश की 70 फीसद आर्थिक गतिविधियां ठप है। इस लॉकडाउन से 8.03 लाख करोड़ के उत्पादन का नुकसान होगा। वहीं श्रमिकों की आय में 1.77 लाख करोड़ रुपए कमी की आशंका है। वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोतरी दर मात्र 2.6 फीसद रह सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक आय में कमी से डायरेक्ट टैक्स में कमी आएगी। आय कम होने से वस्तुओं की बिक्त्री प्रभावित होगी और वस्तुओं व सेवा की खपत में कमी आएगी तो जीएसटी कलेक्शन कम होगा।
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