दुनियाभर में डॉक्टरों पर हमले, सर्वाधिक 68% घटनाएं सिर्फ भारत में, 63% डॉक्टर मानते हैं-डर के बीच इलाज करते हैं
कोरोना संकट के बीच एक तरफ दुनियाभर में स्वास्थ्य कर्मियों को जहां कोरोना वॉरियर्स के रूप में सम्मानित किया जा रहा है
कोरोना संकट के बीच एक तरफ दुनियाभर में स्वास्थ्य कर्मियों को जहां कोरोना वॉरियर्स के रूप में सम्मानित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनके साथ मारपीट और हिंसा की घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। अकेले भारत में ही अब तक दर्जन भर से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इनमें डॉक्टर्स पर हमला करने से लेकर उन्हें अपशब्द कहने, उन पर थूकने व घरों से बाहर निकालने तक के मामले शामिल हैं।
दैनिक भास्कर के अनुसार, एसीएलईडी की रिपोर्ट के अनुसार, 19 फरवरी से अब तक 45 दिन में दुनियाभर में डॉक्टर्स के विरुद्ध हुई हिंसा की कुल घटनाओं में 68% अकेले भारत में हुई हैं। मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, बैंग्लुरु जैसे राज्य इनमें शामिल हैं।
कहने को डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए देश के 23 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदशों में अलग-अलग कानून हैं, लेकिन ये पूरी तरह निष्प्रभावी हैं। यह इसलिए क्योंकि, आज तक एक भी आरोपी को इन कानूनों के तहत सजा नहीं दी जा सकी है। डॉक्टर्स में असुरक्षा इस कदर हावी हो गई है कि अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीज का इलाज करने वाले इन वॉरियर्स को सुरक्षा के लिए विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाना पड़ा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर 22 अप्रैल को देशभर में कैंडल जलाकर विरोध जताने का निर्णय लिया गया। हालांकि, महामारी के बीच डाॅक्टर्स के विरोध प्रदर्शन की जानकारी होते ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षा का आश्वासन देकर इसे रुकवाया।
कोरोना की जांच और इलाज के दौरान दुनियाभर में डॉक्टरों और नर्सिंग कर्मियों पर हमले हो रहे हैं। लेकिन, सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि सबसे ज्यादा हमले भारत में हो रहे हैं। आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट लोकेशन एंड इवेंट डेटा प्रोजेक्ट (एसीएलईडी) की रिपोर्ट के अनुसार, 19 फरवरी के बाद लगभग 45 दिन में दुनिया भर में स्वास्थ्य कर्मियों के विरुद्ध हुई कुल घटनाओं का 68% अकेले भारत में हुईं। एसीएलईडी विकासशील दुनिया में होने वाली राजनीतिक हिंसा की घटनाओं और उनके विश्लेषण को कवर करती है।
2017 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने देश के 1681 डॉक्टर्स पर एक सर्वे किया था। इसमें 82.7% डॉक्टर्स ने यह कहा था कि उन्हें इस पेशे में तनाव का सामना करना पड़ रहा है।
82.7% भारतीय डाॅक्टर्स ने पेशे में तनाव की बात कही है।
46.3% डाॅक्टर्स मानते हैं हिंसा उनके तनाव का मुख्य कारण।
62.8% ने माना वे हिंसा के भय के बीच मरीज देखते हैं।
57.7% डॉक्टर्स सिक्योरिटी लेने के बारे में सोचते हैं।
38.0% हेल्थ वर्कर्स करते हैं हिंसा का सामना (WHO के अनुसार)
देश में कुल 11.59 लाख एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं। जनंसख्या के अनुसार देखा जाए तो भारत में 1445 लोगों पर सिर्फ 01 डॉक्टर है।
डॉक्टरों की कमी, अशिक्षा, अस्पतालों पर मरीजों का बोझ डॉक्टरों से मारपीट व अभद्रता का मुख्य कारण है।
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