अमेरिका: चुनाव में भारतवंशी वोटर्स को लुभाने के लिए कल विज्ञापन जारी करेंगे ट्रम्प
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आगामी नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आगामी नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भारत दौरे से लौटने के तुरंत बाद ट्रम्प ने उन्हें प्रभावित करने के लिए तीन डिजिटल विज्ञापन लॉन्च करने की योजना बनाई। ये विज्ञापन बुधवार को फेसबुक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किए जाएंगे। अमेरिका में ऐसा पहली बार हो रहा है कि रिपब्लिकन राष्ट्रपति के चुनावी कैंपेन में भारतवंशी समुदाय के लिए एड कैंपेन आ रहा है। इसकी वजह यह है कि चुनाव में 14 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी निर्णायक हो सकते हैं। सबसे बड़ी और दिलचस्प बात यह है कि 2016 में हुए पिछले चुनाव में 84% भारतीय अमेरिकियों ने ट्रम्प के खिलाफ वोट दिया था।
दैनिक भास्कर के अनुसार, राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रम्प लगातार भारतवंशियों में पैठ बना रहे हैं। वे प्रशासन में 22 भारतवंशियों को शामिल कर चुके हैं। यह किसी भी प्रवासी समूह का अब तक का सबसे बड़ा दल है। इनमें निक्की हेली यूएन में अमेरिकी राजदूत, सीमा वर्मा को मेडीकेयर और मेडीकेटेड सर्विस का प्रशासक बनाया । राज शाह को व्हाइट हाउस के कम्युनिकेशन डायरेक्टर है, वहीं अजीत पाई फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन के चेयरमैन हैं। 1990 के दशक में भारतवंशी क्रमशः डेमोकेट्स और रिपब्लिकन को 60:40 अनुपात में समर्थन देते रहे, लेकिन 9/11 के हमले के बाद अमेरिका में अप्रवासी समुदाय के खिलाफ हमले बढ़ गए। रिपब्लिकन पार्टी ने खुद को ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले और अप्रवासियों के प्रति नफरत रखने वाले समूहों से जोड़ लिया।
भारतीयों का रिपब्लिकन पार्टी की तरफ झुकाव कम होता गया। 2016 में तो 20% से कम भारतीयों ने रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन किया। इसकी वजह यह रही कि रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रम्प ने अपने प्रचार में अप्रवासियों के खिलाफ सख्त नीति बनाने की बात जोरशोर से उठाई। अभी भी बड़े पैमाने पर ट्रम्प को समर्थन मिलना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है। क्योंकि, आव्रजन पर ट्रम्प की नीतियों ने उच्च शिक्षित पेशेवर भारतीय अमेरिकियों के हितों को चोट पहुंचाई है। उन्होंने एच-1बी वीसा की संख्या सीमित करने के ट्रम्प प्रशासन के फैसले की आलोचना की है। इसके अलावा, ट्रम्प प्रशासन ने एच-1बी वीसा पाने वालों के जीवनसाथी के वर्क परमिट को रद्द करने की इच्छा भी व्यक्त की है। हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि कुछ भारतवंशी डोनाल्ड ट्रम्प को मोदी से संबंधों के नजरिए से देखें।
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