अमेरिका में भारतीय मूल के कई डॉक्टर कोरोना की चपेट में, पुत्री के बाद पिता की भी मौत

अमेरिका के न्यूजर्सी प्रांत में कोरोना वायरस से जंग में भारतीय मूल के सर्जन सत्येंद्र देव खन्ना और उनकी बेटी डॉ प्रिया खन्ना की मौत हो गई।
अमेरिका के न्यूजर्सी प्रांत में कोरोना वायरस से जंग में भारतीय मूल के सर्जन सत्येंद्र देव खन्ना और उनकी बेटी डॉ प्रिया खन्ना की मौत हो गई। दोनों कोरोना की चपेट में आ गए थे। प्रांत के गवर्नर फिल मर्फी ने डॉक्टर पिता-पुत्री के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, उन्होंने दूसरों के लिए अपनी जिदंगी समर्पित कर दी। हम शब्दों में अपनी संवेदनाएं व्यक्त नहीं कर सकते। भारतीय मूल के कई डॉक्टर कोरोना की चपेट में हैं। संक्रमित हुए अधिकतर डॉक्टर न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी से बताए जा रहे हैं।
भारतीय अखबार दैनिक जागरण के अनुसार भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सकों (अमेरिकी एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (AAPI)) के अध्यक्ष डॉ. सुरेश रेड्डी ने कहा कि हम सैकड़ों भारतीय मूल के चिकित्सा कर्मियों की बहादुरी से वायरस के खिलाफ लड़ाई की सराहना करते हैं। अमेरिका में हर 7 वां डॉक्टर एक भारतीय है और वे सबसे आगे हैं। वे सैनिकों की तरह आगे बढ़ कर काम काम कर रहे हैं और वायरस से लड़ रहे हैं। अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों की संख्या 5 फीसद है। एएपीआइ 80 हजार से ज्यादा भारतीय मूल के चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करता है।
रेड्डी ने कहा कि COVID-19 के खिलाफ लड़ाई कुछ महीनों में खत्म नहीं होने वाली है। यह समय 1-2 साल तक हो सकता है, जब तक कि कोई वैक्सीन या एंटीवायरल एजेंट विकसित न हो जाए। रेड्डी ने कहा कि जैसे ही अमेरिका महामारी से उभरता है, एक सबक जो सीखा जाएगा वह यह है कि अमेरिका को अपने स्वयं के मैन्युफैक्चरिंग बेस स्थापित करने होंगे, ताकि उसे आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर न होना पड़े। उदाहरण के लिए, यदि हम अमेरिका में मास्क और अन्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) बनाने वाली कंपनियों का निर्माण करते तो हमें आपूर्ति की कमी की समस्या नहीं होती। मास्क, पीपीई, वेंटिलेटर पाने के लिए हर किसी के लिए चीन की ओर नहीं देखना पड़ता।
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