महामारी पर सवाल पूछने वालों को चुप करा रहा चीन, सरकार पर मुकदमा करने के लिए मदद मांग रहे लोग

कोरोना महामारी को लेकर दुनिया के निशाने पर आए चीन को अब घरेलू मोर्चे पर भी सवालों का सामना करना पड़ रहा है।
कोरोना महामारी को लेकर दुनिया के निशाने पर आए चीन को अब घरेलू मोर्चे पर भी सवालों का सामना करना पड़ रहा है। वह हालांकि सख्ती के साथ उन लोगों को चुप करा दे रहा है, जो इस खतरनाक वायरस के चलते अपनों को खोने को लेकर चीन सरकार पर मुकदमा करने के लिए मदद मांग रहे हैं। चीन में महामारी का केंद्र रहे वुहान शहर के कई बाशिंदों ने इसी तरह का मुकदमा करने के लिए कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से संपर्क किया, लेकिन पुलिस की ओर से धमकाए जाने पर उन्होंने अपना मन बदल लिया। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता यांग झांकिंग ने बताया कि वुहान के सात बाशिंदों ने उनसे संपर्क किया था, लेकिन अप्रैल के आखिर में इन लोगों ने अपना मन बदल लिया।
दैनिक जागरण के अनुसार,वह रिहा होने पर अमेरिका आकर बस गए। उन्होंने बताया कि चीनी अधिकारी महामारी में अपनों को खो चुके उन दुखी रिश्तेदारों के साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर सख्ती कर रहे हैं, जो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट सरकार से यह हिसाब मांगने के लिए दबाव बना रहे हैं कि वुहान में क्या गड़बड़ी हुई थी? मध्य चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में गत दिसंबर में कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। यह खतरनाक वायरस यहीं से पूरी दुनिया में फैल गया। चीन में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले और मौतें इसी शहर में हुई।
चीन सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर करने को लेकर वकीलों ने भी आगाह किया है। यांग ने कहा, 'उन्हें (चीनी अधिकारियों) इस बात की चिंता है कि इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने वुहान और वहां के परिवारों की हकीकत जाहिर हो जाएगी। ऐसा होने पर चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मुखर हो जाएगा।' वुहान में सक्रिय एक समूह के दो सदस्यों ने बताया कि गत मार्च में पुलिस एक चैट ग्रुप को बंद कराने के लिए एक व्यक्ति के घर पहुंची थी। इस चैट ग्रुप में 100 से ज्यादा लोग थे और वे चीन सरकार को घेरने में जुटे थे। इन लोगों ने भी महामारी में अपनों को गंवा दिया था। अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार मान रहे हैं।